शेयर बायबैक क्या होता है? (What is Share Buyback in Hindi)
शेयर बायबैक (Share Buyback) या शेयर पुनर्खरीद एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने खुद के शेयर्स को मार्केट से वापस खरीदती है। इसे शेयर रिपर्चेज (Share Repurchase) भी कहते हैं।
सरल भाषा में समझें:
मान लीजिए आपके पास XYZ कंपनी के 100 शेयर हैं। अगर कंपनी बायबैक की घोषणा करती है, तो वह आपसे आपके शेयर्स वापस खरीद सकती है। इसके बदले में आपको पैसे मिलेंगे।
शेयर बायबैक क्यों किया जाता है? (Reasons for Share Buyback)
अतिरिक्त कैश का उपयोग:
जब कंपनी के पास ज्यादा पैसा होता है और कोई नया इन्वेस्टमेंट ऑप्शन नहीं होता, तो वह शेयरहोल्डर्स को पैसा लौटाने के लिए बायबैक करती है।शेयर की कीमत बढ़ाना:
मार्केट से शेयर्स वापस खरीदने से शेयर्स की संख्या कम हो जाती है, जिससे EPS (Earnings Per Share) बढ़ता है और शेयर प्राइस में वृद्धि हो सकती है।शेयरहोल्डर्स को फायदा पहुँचाना:
बायबैक से शेयरहोल्डर्स को अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न मिलता है।शेयर स्ट्रक्चर में सुधार:
कभी-कभी कंपनियाँ अपने शेयर स्ट्रक्चर को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए बायबैक करती हैं।
शेयर बायबैक के प्रकार (Types of Share Buyback in India)
1. ओपन मार्केट बायबैक (Open Market Buyback)
कंपनी स्टॉक एक्सचेंज से सामान्य ट्रेडिंग के जरिए शेयर्स खरीदती है।
सबसे आम तरीका है।
शेयरहोल्डर्स के लिए भाग लेना अनिवार्य नहीं होता।
2. टेंडर ऑफर बायबैक (Tender Offer Buyback)
कंपनी शेयरहोल्डर्स को सीधे ऑफर देती है।
शेयरहोल्डर्स अपने शेयर्स बेचने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
आमतौर पर मार्केट प्राइस से प्रीमियम पर खरीदा जाता है।
3. डच ऑक्शन बायबैक (Dutch Auction Buyback)
शेयरहोल्डर्स अपनी कीमत बोली लगाते हैं।
कंपनी सबसे कम बोली वालों से शेयर्स खरीदती है।
भारत में कम ही देखने को मिलता है।
शेयर बायबैक प्रक्रिया कैसे काम करती है? (How Share Buyback Works)
बोर्ड मीटिंग में अनुमोदन:
कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स बायबैक प्रस्ताव को मंजूरी देते हैं।सेबी और रेगुलेटरी अनुमोदन:
भारत में सेबी (SEBI) के नियमों का पालन करना जरूरी होता है।शेयरहोल्डर्स की मंजूरी:
बड़े बायबैक के लिए शेयरहोल्डर्स की स्वीकृति जरूरी होती है।बायबैक ऑफर की घोषणा:
कंपनी बायबैक की तारीखों, कीमत और प्रक्रिया की घोषणा करती है।बायबैक का निष्पादन:
कंपनी शेयर्स खरीदती है और शेयरहोल्डर्स को भुगतान करती है।शेयर्स का विलोपन:
खरीदे गए शेयर्स को कैंसिल कर दिया जाता है या ट्रेजरी स्टॉक के रूप में रखा जाता है।
शेयर बायबैक के फायदे (Advantages of Share Buyback)
✅ शेयरहोल्डर्स को तुरंत नकदी प्राप्त होती है
✅ EPS बढ़ता है जिससे शेयर प्राइस में वृद्धि हो सकती है
✅ कंपनी की फाइनेंशियल हेल्थ का अच्छा संकेत
✅ टैक्स बेनिफिट्स - डिविडेंड की तुलना में टैक्स कम लग सकता है
✅ अंडरवैल्यूड शेयर्स को सपोर्ट करने का तरीका
शेयर बायबैक के नुकसान (Disadvantages of Share Buyback)
❌ कंपनी के कैश रिजर्व में कमी आती है
❌ गलत तरीके से किया गया बायबैक शेयरहोल्डर्स को नुकसान पहुँचा सकता है
❌ भविष्य के ग्रोथ ऑप्शन्स पर असर पड़ सकता है
❌ कभी-कभी मैनेजमेंट द्वारा शेयर प्राइस को कृत्रिम रूप से बढ़ाने का तरीका हो सकता है
बायबैक vs डिविडेंड में अंतर (Buyback vs Dividend Difference)
पैरामीटर | शेयर बायबैक | डिविडेंड |
---|---|---|
फॉर्म | शेयर्स की वापस खरीद | नकद या स्टॉक भुगतान |
टैक्स इम्प्लिकेशन | लॉन्ग टर्म के लिए कम टैक्स | डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगता है |
शेयर प्राइस पर असर | EPS बढ़ता है, प्राइस बढ़ सकता है | कोई सीधा असर नहीं |
कंपनी के कैश फ्लो पर असर | कैश आउटफ्लो होता है | कैश आउटफ्लो होता है |
भारत में हाल के प्रमुख बायबैक ऑफर्स (Recent Buyback Offers in India)
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) - 2022
बायबैक साइज: ₹18,000 करोड़
बायबैक प्राइस: ₹4,500 प्रति शेयर
इन्फोसिस - 2021
बायबैक साइज: ₹9,200 करोड़
बायबैक प्राइस: ₹1,750 प्रति शेयर
Wipro - 2020
बायबैक साइज: ₹9,500 करोड़
बायबैक प्राइस: ₹400 प्रति शेयर
निष्कर्ष: क्या बायबैक में भाग लेना चाहिए?
शेयर बायबैक कंपनी और शेयरहोल्डर्स दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसमें भाग लेने से पहले इन बातों का ध्यान रखें:
✔️ बायबैक प्राइस मार्केट प्राइस से कितना अधिक है
✔️ कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति कैसी है
✔️ आपका निवेश का उद्देश्य क्या है
✔️ टैक्स इम्प्लिकेशन्स क्या होंगे
अंतिम सलाह: हमेशा अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें और कंपनी के बायबैक डॉक्यूमेंट्स को ध्यान से पढ़ें।
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